Ankur Chakravarty: Jaipuria Institute of Management, Jaipur (Rajasthan)
Essay extract: मनुष्य ईश्वर की सभी रचनाओं में सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि उसके पास दो दृष्टियाँ हैं - एक बाह्य दृष्टि या स्थूल दृष्टि तथा दूसरी अन्तर्दृष्टि या सूक्ष्म दृष्टि। ... हमारे जीवन की अनगिनत समस्याओं का कारण हमारी स्थूल या संकीर्ण दृष्टि होती है जिस कारण हम प्रकृति व जीवन को समझ नहीं पाते। सामान्यतः हम किसी भी व्यक्ति, घटना या वस्तु के स्थूल आवरण को देखते हैं, इन स्थूल आवरणों से व्यक्ति या वस्तु की जो पहचान होती है वह अस्थाई होती है; स्थाई होती है उसकी अन्तर्दृष्टि या अन्त:ज्ञान, या अन्त:चेतना या अन्तर्दर्शन। परन्तु उस अन्त:चेतना की और हमारा ध्यान आक्रष्ट नहीं होता...।
... स्थूल में होने वाली गति हम देख सकते हैं परन्तु सूक्ष्म मैं होने वाली गति का आभास हम अन्त:ज्ञान या अन्तर्दृष्टि के द्वारा ही करने मैं समर्थ होते हैं।
... जो दृश्यमान है वह ही सत्य हो यह आवश्यक नहीं, अपितु जो नहीं दिखता सत्य का कारण उसमें समाहित हो सकता है।